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भारत की प्रथम दिव्यांग महिला दिलराज कौर,अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पैरालाम्पिक शूटर,आर्थिक कठिनाईयों से गुजर रही है।

 भारत की प्रथम दिव्यांग महिला दिलराज कौर,अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पैरालाम्पिक शूटर,आर्थिक कठिनाईयों से गुजर रही है।
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भारत की प्रथम दिव्यांग महिला दिलराज कौर,अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पैरालाम्पिक शूटर,आर्थिक कठिनाईयों से गुजर रही है।

(उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने ली सुध) 

उत्तराखंड (देहरादून)     26.6.2021

उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय परिसर, नैनीताल को मीडिया के माध्यम से पता चला कि दिलराज कौर जोकि भारत की प्रथम दिव्यांग महिला (जिनके शरीर का बायां पैर एवं बाया हाथ जन्म से ही काम नहीं करता है), एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पैरालाम्पिक शूटर है एवं वर्तमान में सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का सहयोग न मिलने के कारण आर्थिक कठिनाईयों से गुजर रही है। इस सम्बन्ध में उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय परिसर, नैनीताल द्वारा तुरन्त संज्ञान लेते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून को उक्त के बारे में अविलम्ब कार्यवाही करने हेतु निर्देश दिया गया।

सदस्य सचिव राजीव कुमार खुल्बे, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल द्वारा दिये गये निर्देश के अनुपालन में नेहा कुशवाहा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा तुरन्त कार्यवाही करते हुए उक्त दिव्यांग महिला से दूरभाष पर वार्ता कर उनकी समस्या के बारे में जानकारी प्राप्त की गयी। उस दिव्यांग महिला द्वारा सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून को बताया गया कि वह एक निशेनाबाज एथलीट है एवं उन्होनें भारत का प्रतिनिधित्व करते कई राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय पैरालाम्पिक शूटर प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया है तथा 26 गोल्ड मेडल, 08 रजत एवं 03 कांस्य पदक जीते हैं एवं विभिन्न पैरा, राष्ट्रीय व शूटिंग वल्र्ड कप में टेक्निकल अफसर के रूप में भी कार्य किया है तथा वह बार एसोसियेशन, जनपद देहरादून में बतौर अधिवक्ता भी पंजीकृत है तथा वह पी0सी0एस0(जे0) की परीक्षा में भी बैठ चुकी है। वह अपनी विधवा माता के साथ किराये के मकान में रहती है। उक्त महिला ने सीमित शारीरिक क्षमताओं के पश्चात् भी राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय पैरालाम्पिक शूटिंग प्रतियोगिताओं में कई मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया है परन्तु इसके बावजूद भी आज तक इनको प्रदेश की सरकार ने प्रथम दिव्यांग महिला खिलाड़ी होने का कोई सम्मान नहीं दिया है एवं न ही किसी प्रकार से आर्थिक सहायता मुहैया करायी है जिसके चलते इस होनहार खिलाड़ी को कोरोनाकाल के दौरान फुटपाथ पर नमकीन बिस्कुट बेचकर अपना गुजर-बसर करना पड़ रहा है एवं आर्थिक कठिनाईयों का अत्यधिक सामना करना पड़ रहा है जबकि सरकार को ऐसी दिव्यांग होनहार महिला खिलाड़ी को उनकी गुजर-बसर हेतु आर्थिक सहायता देनी चाहिये थी जो उन्हें अभी तक उपलब्ध नहीं करायी गयी है।

सचिव , जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा अविलम्ब पराविधिक कार्यकर्ता श्री जहाॅगीर आॅलम, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून को उक्त दिव्यांग महिला के घर जाकर उनकी विधिनुसार उचित सहायता करने हेतु आदेशित किया गया। इस दौरान सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून भी पूरा समय दूरभाष के जरिये उक्त दिव्यांग महिला के सम्पर्क में रही तथा उक्त महिला के बारे में पूर्ण जानकारी देते हुए माननीय उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल को भी पत्र प्रेषित किया गया जिसका संदर्भ लेते हुए माननीय श्री राजीव कुमार खुल्बे सदस्य सचिव, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल द्वारा उनके सम्बंध में सरकार से वार्ता कर उनको उचित सहायता दिलाये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही करेंगें। इसके अतिरिक्त सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा उक्त दिव्यांग महिला को अवगत कराया कि यदि भविष्य में उसे किसी भी प्रकार की कोई विधिक सहायता की आवश्यकता हों तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून से सम्पर्क कर सकती है।

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