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जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका ने ऋषिपर्णा सभागार कलेक्टेªट में पेयजल एवं लीकेज की समस्याओं के दृष्टिगत बैठक लेते हुए पेयजल एवं जलसंस्थान के अधिकारियों सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल ने महाराज श्री विजय कौशल जी से आशीर्वाद प्राप्त किया एवं कथा का श्रवण भी किया।जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका की अध्यक्षता में जिला जल एवं स्वच्छता मिशन की बैठक आयोजित की गई। जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका ने जल संरक्षण अभियान-2024 के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में सम्बन्धिता विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की। ड्रोन सॉकर ने भारत में अपनी आधिकारिक शुरुआत की।

धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज वाराणसी 300 साल पुरानी रामलीला देखने पहुंचे।

 धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज वाराणसी 300 साल पुरानी रामलीला देखने पहुंचे।
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धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज वाराणसी 300 साल पुरानी रामलीला देखने पहुंचे।

(300 साल पुरानी रामलीला को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में दर्ज करवाने का प्रयास करेंगे::::: महाराज)

उत्तराखंड (देहरादून/वाराणसी) रविवार,09 अक्टूबर 2022

पर्यटन, लोक निर्माण, पंचायती राज, ग्रामीण निर्माण, सिंचाई, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि वह वाराणसी स्थित रामनगर की 300 साल पुरानी रामलीला को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में दर्ज करवाने का प्रयास करेंगे।

प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व की मिशाल वाराणसी स्थित रामनगर की 300 साल पुरानी रामलीला जिसका मंचन अलग-अलग मंचों पर पूरे शहर में किया जाता है में भाग लेने वहां पहुंचे हैं। इस अवसर पर उन्होने कहा कि अद्भुत संयोग है कि बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी इन दिनों राममय हो गई है। रामनगर में चल रही रामलीला देशभर में प्रसिद्ध है। हमारा प्रयास है कि अपनी संस्कृति को विश्व को दिखाया जाए। इसलिए वह वाराणसी स्थित रामनगर की 300 साल पुरानी रामलीला को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में दर्ज करवाने का प्रयास करेंगे।

उन्होने कहा कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में भी रामनगर की ही तरह विश्व प्रसिद्ध रामलीला होती है जिसे यूनेस्को में रजिस्टर्ड कराया गया है। रामनगर की यह रामलीला भी भारत की अमुल्य धरोहर है इसलिए इसको संरक्षित करना और आगे बढाना हम सब का दायित्व है।

 

वाराणसी स्थित रामनगर में होने वाली रामलीला की इस परंपरा को सहेजकर रखने में काशीराज परिवार का विशेष योगदान है।काशीराज परिवार के आग्रह पर ही श्री महाराज यहां पहुंचे हैं।

 

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