इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल मध्यरात्रि 12:15 से सुबह 04:08 बजे तक रहेगा।
इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल मध्यरात्रि 12:15 से सुबह 04:08 बजे तक रहेगा।
(इस दिन शनीचरी अमावस्या भी है)
उत्तराखंड (देहरादून) मंगलवार, 19 अप्रैल 2022
ज्योतिष, विज्ञान, और धार्मिक तीनों ही नजरिए से सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व होता है। साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल को लगने जा रहा है।इस दिन शनीचरी अमावस्या भी पड़ रही है। इस कारण इस ग्रहण का महत्व कई गुना बढ़ गया है।हालांकि आंशिक सूर्य ग्रहण होने से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा लेकिन इस दौरान कुछ सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है, वरना ये जीवन पर भारी पड़ सकती हैं।यह ग्रहण 30 अप्रैल की मध्यरात्रि 12:15 बजे से शुरू होगा और सुबह 04:08 बजे तक चलेगा।
खगोलीय घटनाओं में रूचि रखने वाले लोगों के लिए ये नजारा किसी रोमांच से कम नहीं होता वहीं धार्मिक दृष्टि से ग्रहण लगना अशुभ माना जाता है। मानव शरीर पर सूर्यग्रहण का बुरा प्रभाव पड़ता है।इसलिए इस दौरान कई कामों को करने की मनाही होती है। इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव कैसे और कितने समय के लिए रहेगा।
सूर्य ग्रहण लगने का समय
सूर्य ग्रहण रात 12:15 से लेकर सुबह 04:07 बजे तक रहेगा. इस दौरान 1 मई तारीख लग चुकी होगी।इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 52 मिनट की होगी।
सूर्य ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रखने चाहिए. इस समय को शुभ नहीं माना जाता है।भोजन-पानी आदि में तुलसी की पत्ती डालकर रख दें, जिससे ग्रहण का नकारात्मक असर उन पर न पड़ें।घर के मंदिर को पर्दे, दरवाजे या किसी कपड़े से ढंक दें।इस दौरान मंदिरों के पट भी बंद रखे जाते हैं। ग्रहण के दौरान ईश्वर का ध्यान करते रहें। सूर्य ग्रहण के बाद स्नान करें और दान जरूर करे।
धर्म शास्त्रों के मुताबिक सूर्य ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ काम न करें।ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है इसलिए इस समय कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन नहीं बनाना चाहिए और ना ही काटने-छीलने का काम करना चाहिए. सूर्य ग्रहण के दौरान खाना खाने से भी परहेज करना।सूर्य ग्रहण के दौरान बाहर जाने से बचना चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं अनुसार ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर ही पड़ता है। इसलिए ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी जाती है। सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को नुकीली या धारदार वाली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वह इस दौरान अच्छी किताबों को पढ़ सकती हैं साथ ही भगवान का भजन कर सकती हैं ग्रहण के दौरान सुई में धागा डालने की मनाही की गई है।
जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है। जिसके कारण पृथ्वी पर कुछ पलों के लिए सूरज की रोशनी ठीक से नहीं आ पाती और अंधेरा छा जाता है।इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं।
धर्म शास्त्रों के मुताबिक सूर्य ग्रहण के दौरान राहु सूर्य को निगल लेता है।ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान सूर्य कष्ट में होता है और ग्रहण लग जाता है लेकिन राहु का धड़ न होने के चलते कुछ ही समय में सूर्य वापस अपनी पहले वाली स्थिति में लौट आता है।सूर्य के अपनी स्थिति में वापस लौटते ही ग्रहण खत्म हो जाता है।