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एस.सी. और एस.टी के वोटरों पर सभी सियासी दलों की पैनी है नजर।

 एस.सी. और एस.टी के वोटरों पर सभी सियासी दलों की पैनी है नजर।
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एस.सी. और एस.टी के वोटरों पर सभी सियासी दलों की पैनी है नजर।

(प्रदेश विधानसभा में एस.सी के लिए 13 तथा एस.टी के लिए दो सीटें रिजर्व हैं)

उत्तराखंड (देहरादून) शनिवार, 29 जनवरी 2022

कोई भी चुनाव हो संसदीय हो या राज्य विधानसभाओं के इन सभी चुनावों में एस.सी. और एस.टी के वोटरों पर सभी सियासी दलों की पैनी नजर रहती है। अब हम उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को देखें तो यहां पर भी एस.सी और एस.टी के वोटरों का असर पूरे राज्य में है। प्रदेश विधानसभा में एस.सी के लिए 13 तथा एस.टी के लिए दो सीटें रिजर्व हैं।

उत्तराखण्ड में इनके सियासी असर को इस नजरिये से भी समझा जा सकता है कि हर सियासी दल में एस.सी और एस.टी के सेल बने हुए हैं। यहां तक की मंत्रिमंडल में भी इन्हें हमेशा तरजीह दी गई है। ये ही वजह है कि सियासी दल इन्हें अपनी तरफ खींचने का प्रयास करते हैं क्योंकि ये ही तबका मतदान के लिए ज्यादा संख्या में बूथ तक पहुंचता है। आईए नजर डालते हैं उत्तराखण्ड में जब साल 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य भर का मतदान प्रतिशत 65.60 था और इस प्रतिशत में सबसे ज्यादा 74.60 प्रतिशत मतदान योगदान एस.सी के वोटरों का था।

उत्तराखण्ड की सियासत में एस.सी और एस.टी के वोटरों का अहम रोल रहता है। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड की साल 2021 की अनुमानित पाप्यूलेशन के मुताबिक एस.सी की जनसंख्या 22 लाख और एस.टी के वोटरों की जनसंख्या 3.38 लाख है अगर दोनों को मिलाकर देखें तो यह आंकड़ा 25 लाख से ऊपर है। निर्वाचन आयोग के मापदंड के अनुसार कुल जनसंख्या का 61 फीसद वोटर बनने के काबिल हो जाता है।

उत्तराखण्ड में एस.सी और एस.टी वोटरों का प्रतिशत 18.50 पहुंचता है। इतनी बड़ी तादाद में मतदाताओं को नाखुश करने का जोखिम कोई भी सियासी दल नहीं उठाता है । सबसे बड़ा पहलू यह है कि ये वो वोटर हैं जो सबसे ज्यादा तादाद में पोलिंग बूथ तक पहुंचते हैं। 2017 में हुए चुनाव में एस.सी और एस.टी के वोटरों ने 74.60 फीसद और 64.39 फीसद वोट डाले थे।

 

 

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