उत्तराखंड के जौनसारी सांस्कृतिक दल को राष्ट्रीय जनजाति नृत्य महोत्सव-2022 में  प्रथम पुरस्कार मिला। - Swastik Mail
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उत्तराखंड के जौनसारी सांस्कृतिक दल को राष्ट्रीय जनजाति नृत्य महोत्सव-2022 में  प्रथम पुरस्कार मिला।

 उत्तराखंड के जौनसारी सांस्कृतिक दल को राष्ट्रीय जनजाति नृत्य महोत्सव-2022 में  प्रथम पुरस्कार मिला।
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उत्तराखंड के जौनसारी सांस्कृतिक दल को राष्ट्रीय जनजाति नृत्य महोत्सव-2022 में  प्रथम पुरस्कार मिला।

(दल के नायक कुन्दन सिंह चौहान और साथी कलाकारों का संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने आभार जताया)

उत्तराखंड (देहरादून) बुधवार, 01 जून 2022

भुवनेश्वर, उड़ीसा में आयोजित राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव-2022 के आयोजन में उत्तराखंड को प्रथम पुरस्कार दिलवाने वाले जौनसारी सांस्कृतिक दल ने प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज से भेंट कर उनका आभार व्यक्त किया है।

भुवनेश्वर, उड़ीसा में 19 से 21 मई तक आयोजित राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव-2022 के आयोजन में उत्तराखंड को प्रथम पुरस्कार दिलवाने वाले जौनसारी सांस्कृतिक दल के नायक कुन्दन सिंह चौहान ने साथी कलाकारों के साथ आज प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज से सुभाष रोड़ स्थित कैम्प कार्यालय पर भेंट कर उनका आभार जताया।

इस मौके पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि भुवनेश्वर, उड़ीसा में राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव-2022 के आयोजन में देश के 24 राज्यों के 650 कलाकारों ने अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन किया। उन्होने कहा कि उन्हें खुशी है कि उत्तराखंड के सांस्कृतिक कलाकारों ने भी इसमें प्रतिभाग कर जौनसारी नृत्य की शानदार प्रस्तुति के माध्यम से प्रदेश को प्रथम पुरस्कार दिलवाया जो कि हमारे लिए गर्व की बात है।

जनजातीय नृत्य महोत्सव-2022 के आयोजन में जौनसारी हाथी नृत्य, हिरन नृत्य, ठोऊडा, हारूल-तांदेय, झैंता एवं रासो नृत्य के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुती के साथ-साथ प्रदेश को प्रथम पुरस्कार दिलवाने के लिए संस्कृति मंत्री ने टीम लीडर कुंदन सिंह चौहान और उनके दल में शामिल अरविंद राणा, नरेश शाह, राजेश चौहान, गजेंद्र चौहान, शालू नेगी, अंकिता वर्मा, धर्म सिंह चौहान, टीकम सिंह, अर्जुन, सचिन, रागिया भारती, कांसिया वर्मा, रोहित मोड़का, अनूप चांगटा, सपना, मनीषा, ईशा वर्मा, मोनिका, अनुज और नितेश को शुभकामनाएं देते अपेक्षा की कि आगे भी वह इसी प्रकार से उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाने का काम करते रहेंगे।

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