प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी।  - Swastik Mail
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प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी। 

 प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी। 
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प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी। 

(हरेला सभी के लिए सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली लेकर आए) 

उत्तराखंड (देहरादून) शुक्रवार 16.7.2021

हरे भरे पर्यावरण के संदेश को समर्पित देवभूमि उत्तराखंड के लोकपर्व ‘हरेला’ के शुभअवसर पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री मदन कौशिक ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। श्री कौशिक ने हरेला के अवसर पर पौधा लगाकर पूरे प्रदेश के लिए सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता हरबंस कपूर समेत पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता उपस्थित थे।

जी रया-जागि रया यानी ‘जीते रहो’ की भावना के साथ मनाया जाने वाला यह त्योहार पूरे उत्तराखंड में हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है। हरेला पर्व के अवसर पर गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों में समन्वय की भावना को प्रगाढ़ करते हुए वृक्षारोपण के बाद श्री कौशिक ने सभी प्रदेशवासियों से एक पौधा लगाने की अपील की। उन्होंने कहा “प्रकृति और पर्यावरण के इस पावन पर्व पर आप सभी से अनुरोध है कि आप अपने प्रियजनों हेतु एक पौधा अवश्य लगाएं और उस पौधे का संरक्षण भी सुनिश्चित करें।” पूरे प्रदेश की सुख-शांति की कामना करते हुए श्री कौशिक ने कहा, ”हरेला सभी के लिए सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली लेकर आए, ऐसी परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं।”

मूल रूप से कुमाऊं में मनाए जाने वाले इस पर्व को कृषि से भी जोड़ा जाता है, यह पर्व वर्ष में तीन बार मनाया जाता है, पहला चैत्र मास, दूसरा श्रावण मास तथा तीसरा आश्विन मास में मनाया जाता है। सावन में मनाए जाने वाले हरेला पर्व को काफी धूमधाम से मनाया जाता है, एक किवदंती के अनुसार उत्तराखंड के कुमाऊं के लोग भगवान शिव और हिमालय की पुत्री देवी पार्वती के विवाह की तिथि को उत्सव के रूप में मनाने के लिए सावन महीने का हरेला पर्व मनाते हैं। वहीं इस पर्व को कृषि से भी जोड़ा जाता है, इस दिन किसान अपनी फसल के अच्छी होने की प्रार्थना भी करते हैं। सावन लगने से नौ दिन पहले पांच या सात प्रकार के अनाज के बीज एक रिंगाल की छोटी टोकरी में मिटटी डाल के बोए जाते हैं, इसे सूर्य की सीधी रोशनी से बचाया जाता है और प्रतिदिन सुबह पानी से सींचा जाता है। 9वें दिन इनकी गुड़ाई की जाती है और दसवें यानि कि हरेला के दिन इसे काटा जाता है।

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