पौड़ी जिले के मसाण गांव की अवनि नौटियाल ने कोट ब्लॉक के 6 गांवों में फील्ड-रिसर्च कर जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की स्थिति का मूल्यांकन किया। - Swastik Mail
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पौड़ी जिले के मसाण गांव की अवनि नौटियाल ने कोट ब्लॉक के 6 गांवों में फील्ड-रिसर्च कर जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की स्थिति का मूल्यांकन किया।

 पौड़ी जिले के मसाण गांव की अवनि नौटियाल ने कोट ब्लॉक के 6 गांवों में फील्ड-रिसर्च कर जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की स्थिति का मूल्यांकन किया।
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 पौड़ी जिले के मसाण गांव की अवनि नौटियाल ने कोट ब्लॉक के 6 गांवों में फील्ड-रिसर्च कर जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की स्थिति का मूल्यांकन किया।

( उत्तराखंड सरकार का जल जीवन मिशन सही दिशा में है)

उत्तराखंड (देहरादून) शुक्रवार, 12 सितम्बर 2025

भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए जल जीवन मिशन के अंतर्गत उत्तराखंड सरकार ने हर घर जल कार्यक्रम को लागू किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के हर ग्रामीण परिवार तक पीने योग्य नल का जल पहुँचाना है। उत्तराखंड इस कार्यक्रम को लागू करने में अग्रणी रहा है। जुलाई 2025 तक, उत्तराखंड की कुल 14,985 ग्राम पंचायतों में से 9067 गांवों को ‘हर घर जल गांव’ के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है, जबकि अन्य 2557 गांवों को ‘हर घर जल रिपोर्टेड’ श्रेणी में रखा गया है, जो अभी तक प्रमाणित नहीं हुए हैं।

मुंबई निवासी और पौड़ी जिले के मसाण गांव की मूल निवासी, 16 वर्षीय अवनि नौटियाल ने कोट ब्लॉक के 6 गांवों में फील्ड-रिसर्च कर जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की स्थिति का मूल्यांकन किया। यह अध्ययन उत्तराखंड जल संस्थान और उत्तराखंड जल निगम विभागों के सहयोग से किया गया और इसके निष्कर्ष माननीय सचिव, उत्तराखंड पेयजल विभाग को प्रस्तुत किए गए।

लगभग 60 से अधिक महिलाओं के साथ व्यक्तिगत साक्षात्कार और समूह चर्चाओं के आधार पर जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की स्थिति की एक स्पष्ट तस्वीर सामने आई।

जल जीवन मिशन का हर घर जल कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा है। गांवों में हर घर तक कार्यशील नल का पानी पहुँचाने से लोगों का जीवन बदल गया है। घर पर नल जल उपलब्ध होने से महिलाओं को घर तक पानी लाने के लिए श्रम नहीं करना पड़ता। इसका महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, साथ ही उन्हें परिवार की देखभाल, अवकाश गतिविधियों और उत्पादक कार्यों में समय देने का अवसर मिला है। इससे बच्चों की स्कूल में उपस्थिति भी बढ़ी है।

कोट ब्लॉक की एक प्रतिभागी (चौहान, नाम परिवर्तित) ने कहा: “पहले हमें दिन में कई बार, लगभग 30 मिनट पैदल चलकर पीने का पानी भरना पड़ता था। इस मेहनत, गिरने के डर और जंगली जानवरों के भय से सिरदर्द हो जाता था। अब जब घर पर नल से पानी मिलता है तो यह तनाव समाप्त हो गया है।”

हालाँकि, सुधार की गुंजाइश बनी हुई है। नल का जल केवल 8-9 महीने प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है। अप्रैल-जुलाई महीनों में पानी की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि इस समय गर्मी की छुट्टियों और पूजाओं के लिए निवासियों की संख्या बढ़ जाती है और प्राकृतिक स्रोतों तथा जल जीवन मिशन स्रोतों से पानी की आपूर्ति घट जाती है।

कुछ गांवों में कंट्रोल वाल्व से छेड़छाड़ के कारण नीचे की ओर स्थित घरों में पानी की उपलब्धता कम हो जाती है। इसे रोकने के लिए वाल्व पर कम लागत वाले सेंसर लगाकर छेड़छाड़ की सूचना तुरंत दी जा सकती है। इसके अलावा, सभी ग्रामीणों को उपलब्ध स्पष्ट एस्केलेशन मैट्रिक्स और शिकायतों के निपटारे के लिए तय सेवा स्तर समझौते होने चाहिए, ताकि लोग समयबद्ध समाधान की अपेक्षा कर सकें।

अपने शोध के बारे में अवनि ने कहा: “जल जीवन मिशन का हर घर जल कार्यक्रम वास्तव में परिवर्तनकारी साबित हुआ है। इसने गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में भारी सुधार किया है। अगर कुछ सुधार और संशोधन किए जाएं तो कार्यक्रम की प्रभावशीलता और भी बढ़ सकती है।”

माननीय सचिव, उत्तराखंड पेयजल विभाग, शैलेश बगौली ने कहा: “यह देखकर अत्यंत उत्साहजनक है कि उत्तराखंड की युवा पीढ़ी सरकार के साथ मिलकर कार्य करने और राज्य की प्रमुख चुनौतियों के समाधान खोजने में इतनी रुचि ले रही है। सुश्री नौटियाल की यह रिपोर्ट इस दिशा में एक सशक्त प्रयास है।

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