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एलिवेटेड रोड के खिलाफ एवं जनपक्षीय विकास के लिए आंदोलन का एलान।

 एलिवेटेड रोड के खिलाफ एवं जनपक्षीय विकास के लिए आंदोलन का एलान।
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एलिवेटेड रोड के खिलाफ एवं जनपक्षीय विकास के लिए आंदोलन का एलान।

(21 सितंबर को विशाल जुलूस आयोजित किया जायेगा जिसमें  प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना को रद्द करने की मांग उठाई जाएगी।

उत्तराखंड (देहरादून) बुधवार, 17 सितम्बर 2025

देहरादून में प्रस्तावित “एलिवेटेड रोड” परियोजना को लेकर शहर और राज्य के जन संगठन, महिला संगठन, पर्यावरणवादी संगठन एवं विपक्षी दल लंबे समय से चिंतित हैं। इस परियोजना से दसियों हज़ार लोग बेघर हो सकते हैं, शहर में गर्मी और प्रदूषण बढ़ेगा, और नदियों व पर्यावरण पर गंभीर नुकसान होने की संभावना है। रिस्पना एवं बिंदाल नदियों का विनाश होगा। मसूरी और देहरादून के निकटवर्ती क्षेत्रों में क्षमता से अधिक पर्यटन होने से जाम तथा अन्य समस्याएँ बढ़ती जाएँगी। इससे पहाड़ी इलाकों में वाहनों का दबाव बहुत बढ़ जाएगा। ऐसे में यह परियोजना देहरादून की समस्याओं को कई गुना और बढ़ा देगी।

इसके अतिरिक्त, जनता ने यह भी देखा है कि सरकार कैसे सारे नियम कानून की धज्जियां उड़ा कर तथाकथित “जन सुनवाइयों” को आयोजित की। इस परियोजना के खिलाफ तीन सालों से आवाज़ उठाई जा रही है, फिर भी सरकार ने अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया है।

इसीलिए देहरादून के हरित एवं जनपक्षीय विकास के लिए 21 सितंबर को विशाल जुलूस आयोजित किया जा रहा है।

इस जुलूस द्वारा प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना को रद्द करने के साथ-साथ यह मांग भी उठाई जाएगी कि शहर में सार्वजनिक परिवहन की क्षमता 50 प्रतिशत बढ़ाई जाए; महिलाओं के लिए बस टिकट मुफ्त किए जाएँ; शहरी रोज़गार गारंटी लागू कर किफायती आवास बनाया जाए; निजी स्कूलों एवं मॉल के लिए परिवहन की व्यवस्था अनिवार्य की जाए; सिग्नल और चौकों को सुधारा जाए; और ऐसे कदम उठाए जाएँ जिनसे यातायात की समस्याओं से राहत मिले और असली विकास संभव हो।

21 सितंबर की जुलूस के बाद आंदोलन जारी रहेगा और उसको अधिक विस्तार किया जाएगा। शहर भर में आवाज़ उठाई जाती रहेगी जब तक यह विनाशकारी और नाजायज़ परियोजना रद्द नहीं होती। साथ-साथ यह मांग भी उठाई जाएगी कि शहर में कम से कम 500 नए बस चलाए; महिलाओं, छात्रों एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए बस टिकट मुफ्त किए जाएँ; शहरी रोज़गार गारंटी लागू कर किफायती आवास बनाया जाए; निजी स्कूलों एवं मॉल के लिए परिवहन की व्यवस्था अनिवार्य की जाए; सिग्नल और चौकों को सुधारा जाए; और ऐसे कदम उठाए जाएँ जिनसे यातायात की समस्याओं से राहत मिले और हरित, सतत विकास संभव हो।

21 सितंबर की जुलूस के बाद आंदोलन जारी रहेगा और उसका अधिक विस्तार किया जाएगा। शहर भर में आवाज़ उठाई जाती रहेगी जब तक यह विनाशकारी और नाजायज़ परियोजना रद्द नहीं की जाती।

प्रेस वार्ता को चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत एवं विमला कोहली, सीपीआई के राष्ट्रीय काउंसिल सदस्य समर भंडारी, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ SN सचान, वरिष्ठ पर्यावरणविद एवं उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ रवि चोपड़ा, उत्तराखंड सर्वोदय मंडल के हरबीर सिंह कुशवाहा, मैड के विवेक गुप्ता, और उत्तराखंड इंसानियत मंच के PS कक्कड़ ने संबोधित किया।

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