उत्तराखंड में अंग तस्करी पर नकेल कसने के लिए राज्य की धामी सरकार ने कठोर नियम बनाए। - Swastik Mail
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प्रेमनगर के पूर्व पार्षद हितेश गुप्ता का अवैध निर्माण को आखिर क्यों दिया जा रहा है सरक्षण।मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने अवगत कराया है कि “जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार अभियान” के अंतर्गत न्याय पंचायतों/ग्राम पंचायतों में बहुउद्देशीय शिविर/कैम्प आयोजित किए जाएंगे।अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास निधि IFAD मुख्यालय, रोम (इटली) में ऐतिहासिक ‘India Day Event’ का आयोजन किया।एक और एजेंसी आई डीएम की क्यूआरटी के निशाने पर; यूपीसीएल पर 02 माह का लगा प्रतिबन्ध; कार्य अनुमति निरस्त।महानिदेशक, कृषि एवं उद्यान, उत्तराखण्ड शासन श्रीमती वंन्दना द्वारा रेशम निदेशालय प्रेमनगर देहरादून का निरीक्षण किया गया।

उत्तराखंड में अंग तस्करी पर नकेल कसने के लिए राज्य की धामी सरकार ने कठोर नियम बनाए।

 उत्तराखंड में अंग तस्करी पर नकेल कसने के लिए राज्य की धामी सरकार ने कठोर नियम बनाए।
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उत्तराखंड में अंग तस्करी पर नकेल कसने के लिए राज्य की धामी सरकार ने कठोर नियम बनाए।

(ब्रेन डेड मरीजों के परिजनों की स्वेच्छा से होने वाले अंगदान को स्वास्थ्य विभाग ने छह चिकित्सकों की एक्सपर्ट कमेटी का किया गठन)

उत्तराखंड (देहरादून) शुक्रवार, 26 मई 2023

उत्तराखंड में अंग तस्करी पर नकेल कसने के लिए राज्य की धामी सरकार ने कठोर नियम बना दिए हैं। इसके तहत ब्रेन डेड मरीजों के परिजनों की स्वेच्छा से होने वाले अंग प्रत्यारोपण को लेकर उत्तराखंड सरकार (स्वास्थ्य विभाग) ने छह चिकित्सकों की एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। इसमें तीन न्यूरोसर्जन व तीन आईसीयू डॉक्टर्स को शामिल किया गया है। इस एक्सपर्ट कमेटी के मंतव्य और पूरी तरह से संतुष्ट होने पर ही ब्रेन डेड मरीज के अंगों का प्रत्यारोपण संभव हो सकेगा।

वर्ष 2017 में देहरादून के लालतप्पड़ में देश को झकझोर कर रख देने वाला किडनी कांड सामने आया था। किडनी चोर इस रैकेट के तार देश के अलग-अलग राज्यों ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जुड़े थे।

राज्य की धामी सरकार ने इसे लेकर सख्त नियम बना दिए हैं।  देहरादून के नामी अस्पताल एवं दो मेडिकल कॉलेज ने स्वास्थ्य महानिदेशालय से अपने स्तर से ब्रेन डेड मरीजों के अंग प्रत्यारोपण की अनुमति मांगी थी। स्वास्थ्य महानिदेशालय ने इन अस्पतालों के प्रस्ताव पर यह कहते हुए आपत्ति जताई कि बगैर सरकारी नियंत्रण के इस अनुमति का दुरुपयोग हो सकता है। ऐसे में बीते दिनों स्वास्थ्य महानिदेशक की अध्यक्षता में हुई एक अहम बैहक में तय हुआ कि अस्पतालों को सीधे तौर पर यह अधिकार प्रदान नहीं किये जा सकते।

अस्पतालों में ब्रेन डेड मरीज के अंग प्रत्यारोपण का कोई मामला सामने आता है तो पहले इस एक्सपर्ट कमेटी के सामने इसे प्रस्तुत किया जाएगा। परिजनों की स्वेच्छा जताने पर ही कमेटी इसे लेकर अपनी राय देगी। इसके बाद ही ब्रेन डेड मरीज के अंग प्रत्यारोपण सम्भव हो सकेगा।

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